प्रकाशित काव्य संग्रह ---'धूप का कहा 'और ' एक गीत ज़िन्दगी ' से पाठक को जोड़े रखने की एक आत्मीय और ईमानदार कोशिश है / ये ब्लॉग --- :)
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बुधवार, 4 जून 2014
मैं ....हूँ
हुकुमत के शहर में तेरे , सिर बैठी हिमाक़त हूँ ! सच - झूठ के फ़ैसले में , मुस्कुराती सी सियासत हूँ ! ----------------------------------- डॉ .प्रार्थना पंडित
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