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बुधवार, 28 मई 2014

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      वो तो , पत्थर था !
 लगा तारा है !
  गैर के हाथों में ,
जगमगाया बहुत !


 कुछ तो लम्हे हसीन ,
कम ही मिले !
और कुछ तुमने ,
आज़माया बहुत
---------------------------------- डॉ .प्रार्थना पंडित












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