धूप का कहा ,से
-------------- मैने जब कविता लिखना शुरू किया तब मै 10th की student थी ! जब तक 12tha पास किया 200 से ज्यादा कविताएँ मेरी डायरी में थीं , और सखी - सहेलियों की तारीफ़ भी ! घर के सब लोगों की शाबाशी भी ! सच कहूँ तो उस ' डायरी ' को मै अपनी publish दोनों किताबों से भी ज्यादा सहेजकर रखती हूँ !
----------------------------- ये दोनों पेज जो आप देख रहे हैं ' धूप का कहा ' से हैं ! जो मेरे 12th पास करने के बाद ही मेरे माँ - पापा ने publish करवा दी थी !इसी का 2nd एडिशन इस साल ' डायमंड पॉकेट बुक्स ' ने भी छाप दिया !
--------------------------------- डॉ . प्रार्थना पंडित
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