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रविवार, 18 अगस्त 2013

3 शेर

आपकी बात मान ली मैंने
जाने क्यू रार ठान ली मैंने ,



सच ही कहना कहाँ मुनासिब था
जाने कितनो की जान ली मैंने,



रात ने ढल के दोबारा भोर की है 
कुछ सितारों की जान ली मैंने,


                                                    डॉ प्रार्थना पंडित



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