तेरे ही पास रहकर ऐसे तुझको भूल
जाना क्यूँ,
जो जायज़ है मेरा ये रूठ जाना
फिर मनाना क्यूँ,
अगर मोती है रिश्ता और रिश्ते
दिल के होते हैं,
तो ऐसे दिल के मोती को सड़क
पे यूँ गिराना क्यूँ,
तुझे मालूम था मेरे ये सारे ज़ख्म
झूठे हैं
जो ये मालूम था तो आँख से आंसू
बहाना क्यूँ
वो इतरा के ये कहता है कि वो
आंसू नहीं समझा,
जो तुम बहला नहीं सकते किसी
को फिर रुलाना क्यूँ
dr.prarthna pandit
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