प्रकाशित काव्य संग्रह ---'धूप का कहा 'और ' एक गीत ज़िन्दगी ' से पाठक को जोड़े रखने की एक आत्मीय और ईमानदार कोशिश है / ये ब्लॉग --- :)
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सोमवार, 11 मार्च 2013
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------------------- मोम था वो, और साया धूप का था ! दिन ढला, वो हर , जगह बिखरा मिला ! ------- धोखा - धोखा , हर नया चेहरा मिला ! ज़िन्दगी पे हर , जगह पहरा मिला ! ---------------------डॉ . प्रार्थना पंडित -- :)
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