कुल पेज दृश्य

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

मेरी उलझन से मैं, मैं हूँ
अपने शिकवों से तुम,तुम 
ख़ुद की नज़रों में सच मैं हूँ 
अपनी नज़रों मैं सच तुम 

एक नज़र कोई देखेगा और
ज़मी रुक जाएगी ,
शायद हम सब बड़े हुए  हैं 
इसी कहानी को सुन सुन 
                            

                       dr prarthna panditt

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें