प्रकाशित काव्य संग्रह ---'धूप का कहा 'और ' एक गीत ज़िन्दगी ' से पाठक को जोड़े रखने की एक आत्मीय और ईमानदार कोशिश है / ये ब्लॉग --- :)
शनिवार, 30 मार्च 2013
शुक्रवार, 29 मार्च 2013
गुरुवार, 28 मार्च 2013
बुधवार, 27 मार्च 2013
मंगलवार, 26 मार्च 2013
गुरुवार, 21 मार्च 2013
सोमवार, 18 मार्च 2013
शनिवार, 16 मार्च 2013
गुरुवार, 14 मार्च 2013
रविवार, 10 मार्च 2013
धूप का कहा ; डॉ . प्रार्थना पंडित
धूप कहने लगी सच - सच,
मैंने ये सुना है !
हाँ ,देखो तो शीशे -सा इक ,
रंग सा बुना है !
----------------------- वो सुबह-सुबह आती ,
लगती पुनीत सी है .
शामो को लौटती है और,
हार-जीत -सी है .
कोई काम हो , तो कहना ,
मेरा दबदबा रहा है !
कोई पूछ ले तो कहना ,
कि , धूप ने कहा है !
---------------------------- डॉ . प्रार्थना पंडित :)
मैंने ये सुना है !
हाँ ,देखो तो शीशे -सा इक ,
रंग सा बुना है !
----------------------- वो सुबह-सुबह आती ,
लगती पुनीत सी है .
शामो को लौटती है और,
हार-जीत -सी है .
कोई काम हो , तो कहना ,
मेरा दबदबा रहा है !
कोई पूछ ले तो कहना ,
कि , धूप ने कहा है !
---------------------------- डॉ . प्रार्थना पंडित :)
धूप का कहा : प्रकाशित काव्य संग्रह ; डॉ . प्रार्थना पंडित
मैं हूँ / अपना परिचय
-- महसूस कर मुझको
,
कहीं तेरी इबादत हूँ .
याद रख मुझको -
कहीं तेरी शराफत हूँ !
----------------
जिसे हर वक्त हम चाहें ,
कि, अपने घोसलों को दें !
मैं ऐसी स्नेह में लिपटी,
बड़ी भोली हिफाज़त हूँ !
-------------------------------- डॉ. प्रार्थना पंडित
शनिवार, 9 मार्च 2013
सोमवार, 4 मार्च 2013
शनिवार, 2 मार्च 2013
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